आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ? - Online Paisa

Tuesday, September 24, 2019

आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ?

आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ?

Lyfestyle
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आपने कभी सोचा है कि आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ? समय पर काम न करने या होने पर हम झल्ला जाते हैं, आगवबूला हो जाते हैं, चिढ़ जाते हैं, तनाव में आ जाते हैं। समय की कमी के चलते हम लगभग हर पल जल्दबाज़ी और हड़बड़ी में रहते हैं। इस चक्कर में हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, लोगों से हमारे संबंध ख़राब हो जाते हैं, हमारा मानसिक संतुलन गड़्वड़ा जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं। समय की कमी हमारे जीवन का एक अप्रिय और अनिवार्य हिस्सा वन चुकी है।


क्या आपने कभी यह बात सोची है : हमारे पूर्वजों को कभी टाइम की ज़रूरत नहीं पड़ी, तो फिर हमें क्यों पड़ रही है? क्या हमारे पूर्वजों को दिन में 48 घंटे मिलते थे और हमें केवल 24 घंटे ही मिल रहे हैं ? आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूँ कि ऐसा नहीं है! हर पीढ़ी को एक दिन में 24 घंटे का समय ही मिला है। लेकिन बीसवीं सदी की शुरुआत से हमारे जीवन में समय कम यह समस्या दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। बड़ी अजीब बात है, क्योंकि बीसवीं सदी की शुरुआत से ही मनुष्य समय बचाने पड़ने लगा है और वाले नए-नए उपकरण बनाता जा रहा है। बीसवीं सदी से पहले कार नहीं थी, मोटर साइकल या स्कूटर भी नहीं थे, लेकिन हमारे पूर्वजों को कहीं पहुँचने की जल्दी भी नहीं थी।


पहले मिक्सर, फ़ुड प्रोसेसर या माइक्रोवेव नहीं थे, लेकिन गृहिणियाँ सिल पर मसाला पीसने या चूल्हे पर खाना पकाने में किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाती थीं। पहले बिजली नहीं थी, लेकिन किसी को रात-रात भर जागकर काम करने की ज़रूरत भी नहीं थी। वास्तव में तब जीवन ज़्यादा सरल था, क्योंकि उस समय इंसान की ज़िंदगी घडी के हिसाब से नहीं चलती थी। औद्योगिक युग के बाद फ़ैक्ट्री, ऑफ़िस और नौकरी का जो दौर शुरू हुआ, उसने मनुष्य को घड़ी का गुलाम बनाकर रख दिया। पहले जीवन सरल था और अब जटिल हो चुका है। यही हमारी समस्या का मूल कारण है। पहले जीवन की रफ्तार धीमी थी, लेकिन अब तेज़ हो चुकी है। अब हमारे जीवन में इंटरनेट आ गया है, जो पलक झपकते ही हमें दुनिया से जोड़ देता है।


अब हमारे जीवन में टी.वी. आ चुका है, जिसका बटन दबाते ही हम दुनिया की खबरें जान लेते हैं। अब हमारे पास कारें और हवाई जहाज़ हैं, जिनसे हम तेज़ी से कहीं भी पहुँच सकते हैं। अब हमारे पास थ्री-जी मोबाइल्स हैं, जिनसे हम दुनिया में कहीं भी, किसी से भी बात कर सकते हैं और उसे देख भी सकते हैं। आधुनिक आविष्कारों ने हमारे जीवन की गति बढ़ा दी है। शायद आधुनिक आविष्कार ही हमारे जीवन में समय की कमी का सबसे बड़ा कारण हैं। इनकी बदौलत हम दुनिया से तो जुड़ गए हैं, लेकिन शायद खुद से दूर हो गए हैं। यदि आप समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग को लेकर गंभीर हैं, तो इसका सबसे सीधा समाधान यह है : यदि आप किसी तरह आधुनिक आविष्कारों से मुक्ति पा लें और दोबारा पुराने ज़माने की जीवनशैली अपना लें, तो आपको काफ़ी सुविधा होगी।


नहीं, नहीं... मैं यहाँ चूल्हे पर रोटी पकाने या मुंबई से दिल्ली तक पैदल जाने की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं तो केवल यह कहना चाहता हूँ कि मोबाइल, टी.वी.., इंटरनेट, चैटिंग आदि समय बर्बाद करने वाले आविष्कारों का इस्तेमाल कम कर दें। पहले घड़ी हमारे जीवन पर हावी नहीं हुई थी और इसका सीधा सा कारण यह था कि ज्यादातर लोगों के पास घड़ी थी ही नहीं। पहले अलार्म घड़ी की कोई ज़रूरत नहीं थी; मु्गे की बॉग ही काफ़ी थी। तब 8:18 की लोकल पकड़ने का कोई तनाव नहीं रहता था। तब कोई काम सुबह नौ बजे हो या सवा नौ बजे, कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता था... लेकिन आज पड़ता है।


तो इस पुस्तक को आगे पढ़ने से पहले यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि डाइबिटीज़, हाई व्लड प्रेशर कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग की तरह ही समय की कमी भी एक आधुनिक समस्या है, जो आधुनिक जीवनशैली का परिणाम है। यदि आप इस समस्या को सुलझाना चाहते हैं, तो आपको अपनी जीवनशैली को बदलना होगा। याद रखें, दुनिया नहीं बदलेगी; बदलना तो आपको ही है। यदि आप अपनी जीवनशैली और सोच को बदल लेंगे, तो समय का समीकरण भी बदल जाएगा। जैसा अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था, 'हम जिन महत्वपूर्ण समस्याओं का सामना करते हैं, उन्हें सोच के उसी स्तर पर नहीं सुलझाया जा सकता, जिस पर हमने उन्हें उत्पन्न किया था। अब गेंद आपके पाले में है! अपनी सोच बदलें, जीवनशैली बदलें और समय का उचित प्रबंधन करके अपना जीवन बदल लें। इस संदर्भ में आधुनिक प्रबंधन के पितामह पीटर एफ़. ड्रकर की बात याद रखें, 'जब तक हम समय का प्रबंधन नहीं कर सकते, तब तक हम किसी भी चीज़ का प्रबंधन नहीं कर सकते।

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